हवा की सरसराहट से संगीत की उत्पत्ति तक एक प्रकृतिवादी का दृष्टिकोण!!!!!

प्रकृति, संगीत और भावनाओं का संबंध एक अनूठा दृष्टिकोण

हवा की सरसराहट और पक्षियों का कलरव भी संगीत का एक रूप है। यदि मुझे अपना जीवन फिर से जीने का अवसर मिलता, तो मैं हफ्ते में कुछ कविताएं पढ़ने और संगीत सुनने का नियम बना लेता। मैं कोई संगीत विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन एक प्रकृतिवादी के रूप में मेरा मानना है कि संगीत की उत्पत्ति भावनाओं को व्यक्त करने और आपस में संवाद स्थापित करने के प्राचीन रूप के रूप में हुई होगी।

जैसे पशु और पक्षी विभिन्न ध्वनियों के माध्यम से संवाद करते हैं, वैसे ही हमारे आदिम पूर्वजों ने भी अपनी भावनाओं को स्वरों में पिरोकर व्यक्त करना शुरू किया होगा। मैंने अपना पूरा जीवन प्रकृति के रहस्यों को जानने में लगा दिया और पाया कि जीव जगत निरंतर परिवर्तन की प्रक्रिया में है, जहां अनुकूलता ही अस्तित्व की कुंजी है। मनुष्य भी प्रकृति का एक हिस्सा है और उसी प्रकार संगीत भी हमारे विकास यात्रा का एक रोचक पहलू है।

मेरा मानना है कि जो व्यक्ति अपना एक घंटा भी बर्बाद करता है, उसे अपने जीवन का मूल्य नहीं पता। कई लोग कहते हैं कि उनके पास कोई काम नहीं है, लेकिन बेकार बैठने के बजाय संगीत सुनना अधिक लाभदायक हो सकता है। इससे हमारे मस्तिष्क के निष्क्रिय हिस्सों को सक्रिय किया जा सकता है, और हमारी खुशी का अनुभव फिर से जीवित हो सकता है। संगीत हमारे भावनात्मक हिस्से को मजबूत करता है, बुद्धि को तीव्र करता है और नैतिक चरित्र को सुधार सकता है।

क्रोध या प्रेम के समय हमारी आवाज में स्वाभाविक रूप से उतार-चढ़ाव आ जाता है। शायद यही वह बिंदु है जहां संगीत का जन्म हुआ होगा। धीरे-धीरे इन स्वरों को लय और ताल में बांधा गया, जिससे संगीत ने एक संरचित रूप ले लिया। मैंने अपनी पुस्तक ‘द एक्सप्रेशन ऑफ द इमोशन्स’ में इस पहलू पर विस्तार से चर्चा की है।

संगीत का आनंद लेने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप उसमें पारंगत हों या उसकी सभी विधाओं को जानते हों। मुझे यह स्वीकार करने में कोई कठिनाई नहीं है कि मेरे अंदर संगीत की कोई भी विशेष प्रतिभा नहीं है, इसके बावजूद संगीत मुझे बहुत आकर्षित करता है। मैंने बर्मिंघम संगीत समारोह जैसे कार्यक्रमों में भाग लिया और महसूस किया कि गहरी भावना में होते समय हमारी वाणी अवचेतन रूप से एक संगीत का स्वरूप ले लेती है। यह जुड़ाव शायद इस बात का संकेत है कि संगीत हमारे भावनात्मक संचार का एक प्राचीन रूप है।

हवा की सरसराहट, पक्षियों का कलरव और झरनों से कल-कल बहता पानी भी संगीत का ही एक रूप है। शांति से इन्हें सुनें तो मन के तार झंकृत हो जाते हैं, और यह अनुभव हमें एक अनूठी संतुष्टि प्रदान करता है।

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