तनाव में बच्चों के लिए माताओं की आवाज़ उतनी ही प्रभावी जितनी उनका स्पर्श!!!!

विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय के मैडिसन कैंपस में शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया है, जो तनाव के समय में आवाज़ की ताकत को उजागर करता है।

इस अध्ययन में 61 बच्चों को शामिल किया गया, जिन्हें एक तनावपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ा: सार्वजनिक रूप से बोलना और फिर दर्शकों के सामने गणितीय समस्याओं को हल करना।

जब ये बच्चे इस तनावपूर्ण अनुभव से गुजरे, तो उनके शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर तेजी से बढ़ गया। कोर्टिसोल तनाव के दौरान शरीर में उत्पन्न होने वाला प्रमुख हार्मोन है। इस तनावपूर्ण घटना के बाद, शोधकर्ताओं ने देखा कि बच्चों ने अपनी माताओं के साथ बातचीत करने पर उनके तनाव के स्तर में कितना बदलाव आया।

बच्चों ने या तो अपनी माताओं से फोन पर बात की या शारीरिक रूप से उनके संपर्क में आए। नतीजे चौंकाने वाले थे। माताओं के साथ शारीरिक संपर्क या उनकी आवाज़ सुनने के बाद, बच्चों के तनाव हार्मोन का स्तर काफी कम हो गया और उन्होंने स्वयं को कम तनावग्रस्त महसूस किया।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन बच्चों ने अपनी माताओं की आवाज़ सुनी और जिन बच्चों ने व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया, उनमें तनाव कम होने के प्रभाव में कोई अंतर नहीं था। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि दोनों ही परिस्थितियों में बच्चों के शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन जारी हुआ, जिसे ‘प्रेम हार्मोन’ भी कहा जाता है।

इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि तनावपूर्ण समय में माताओं की आवाज़ भी उतनी ही प्रभावी हो सकती है जितना कि उनका शारीरिक संपर्क। यह खोज बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में नई संभावनाओं को जन्म दे सकती है, विशेषकर जब शारीरिक संपर्क संभव न हो।

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