भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए उठाए अहम कदम!!!

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने घरेलू मुद्रा, रुपये, के अंतर्राष्ट्रीयकरण को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई रणनीतिक कार्य योजना की घोषणा की है।

इस योजना के अंतर्गत भारत के बाहर रुपया खाता खोलने की अनुमति दी जाएगी और बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) ढांचे को उदार बनाया जाएगा।

आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि फेमा परिचालन ढांचे को विकसित हो रहे व्यापक आर्थिक माहौल के साथ निरंतर समन्वयित करने के प्रयास किए जाएंगे। इसके तहत विभिन्न दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाना प्राथमिक फोकस होगा। आरबीआई ने 2024-25 के लिए अपनी रणनीतिक कार्य योजना को अंतिम रूप दिया है, जिसमें ईसीबी ढांचे के उदारीकरण और ‘स्पेक्ट्रा’ परियोजना के लिए सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म के चरण I के ‘गो-लाइव’ की परिकल्पना की गई है।

इस नई योजना के तहत, आरबीआई ने घरेलू मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों (पीआरओआई) द्वारा भारत के बाहर रुपया (आईएनआर) खाते खोलने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारतीय बैंकों को पीआरओआई को भारतीय रुपये में ऋण देने और विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) तथा विशेष रुपया वास्ट्रो खाता (एसआरवीए) के माध्यम से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और पोर्टफोलियो निवेश को सक्षम बनाने की सुविधा प्रदान की जाएगी।

आरबीआई ने उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) को युक्तिसंगत बनाने और फेमा के अंतर्गत आईएफएससी विनियमों की समीक्षा करने को भी अपने चालू वित्त वर्ष के एजेंडे में शामिल किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने की दिशा में विनियमों को युक्तिसंगत बनाया गया है, ताकि स्थानीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार का निपटान संभव हो सके। इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने कहा कि तरलता परिचालन मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप जारी रहेगा, जबकि विदेशी मुद्रा परिचालन रुपये की विनिमय दर में व्यवस्थित गति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से निर्देशित होगा।

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