आजीवन राष्ट्रपति बनना चाहती थी इंदिरा गांधी!!!

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आजीवन राष्ट्रपति बनना चाहती थी, उन्हें पता था कि आपातकाल के दौरान हुई जातियों की कीमत छठवीं लोकसभा के चुनाव में चुकानी पड़ सकती है!

यही नहीं सरकार उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर देखी इसलिए उन्होंने इस योजना पर गंभीरता से विचार किया प्लान को परवान चढ़ने के लिए इमरजेंसी का समय चुना उन्होंने अपने भरोसेमंद पूर्व आईएएस अधिकारी से गठन गहन मंथन भी किया लेकिन उनकी सलाह के बाद विचार छोड़ दिया।

अमर उजाला में 5 में 1977 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार इंदिरा गांधी देश में अमेरिकी जैसा  राष्ट्रपति पद्धति की सरकार स्थापित करना चाहती थी योजना या थी, कि फारुख दिन अली अहमद के इस्तीफा के बाद इंदिरा गांधी राष्ट्रपति  बन जाती संसद से उन्हें आजीवन राष्ट्रपति घोषित कर दिया जाता

वह इमरजेंसी के दौरान इस योजना को लागू करना चाहती थी उसे वक्त ज्यादातर विरोधी नेता जेल में थे! या फिर नजर बंद इसलिए विरोध भी नहीं होता उनका यह आइडिया इंडोनेशिया के डॉक्टर सुकन्या से प्रेरित था!

जो इस तरह आजीवन राष्ट्रपति बन गए थे. पूर्व प्रधानमंत्री ने परामर्श के लिए अपने विश्वास पात्र पूर्व आईएएस अधिकारी को बुलाया!

वे जब प्रधानमंत्री निवास गए तो उनकी मुलाकात संजय गांधी और उनके R Kधवन से हुई उनसे सलाह ली गई, कि अगर इंदिरा गांधी को आजीवन राष्ट्रपति बना दिया जाए तो विश्व में क्या प्रतिक्रिया होगी इस पर विचार के लिए उन्होंने कुछ समय मांगा कुछ दिन बाद भी इंदिरा गांधी से मिले और उन्हें बताया कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो विश्व में इसकी गलत मायने निकाले जाएंगे उसे समय इमरजेंसी लागू हुए 10 महीने हो भी हुए थे

उन्होंने बताया कि विश्व में यह राय बन रही है कि इंदिरा तानाशाह बनती जा रही हैं! इस पूर्व अधिकारी ने कहा कि वैसे भी फारूकखुदिन अली अहमद उनके खास हैं! वह उनके किसी भी काम में रुकावट नहीं डालते इंदिरा उनके परामर्श से ही राजी हो गई लेकिन संजय गांधी नाराज हो गए!!!

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