उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके इसके लिए तैयार नहीं है!!!!!!!!

हिमालय पर बड़ी यात्रियों और वाहनों की अप्रत्याशित भीड़ से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। लोगों द्वारा फैलाई गंदगी नदी में मिल रही है!!

उत्तराखंड हिमालय स्थित चारों धाम यात्रा की शुरुआत में श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित भीड़ उमर रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल पर्यावरण दृष्टि से अति संवेदनशील इन तीर्थ में 70 लाख तक यात्रियों की आमद हो सकती है। दो दशक पहले तक इसकी कल्पना भी नहीं की गई थी!!

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार पिछले साल बद्रीनाथ केदारनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 55 लाख के करीब थी जबकि राज गठन के वर्ष 2000 में इन चारों धाम में कुल 12 लाख यात्री पहुंचे थे

सन 1968 में जब पहली बार बस बद्रीनाथ पहुंची थी तो वहां तब लगभग 60000 यात्री यात्रा पहुंच पाए थे इसी तरह 1969 में जब गंगोत्री तक मोटर रोड बनी और 1987 में वहां भैरव घाटी का पुल बना तो वहां तब लगभग 17000 यात्री पहुंचे थे हिमालय धाम में यात्राओं के साथ ही वाहनों की संख्या भी अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है इन धर्मों तक पिछले वर्ष 5 लाख वहां पहुंच चुके थे।

हिमालय पर यात्रियों के इस महा रैली से व्यवसाययों का गदगद होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह यात्रा उत्तराखंड की आर्थिक की रीड होने के साथ ही पड़ोसी राज्यों को भी प्रत्यक्ष या परोक्ष लाभ पहुंचती है लेकिन पर्यावरण और आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों को आस्था के अप्रत्याशित ज्वार ने चिंता में डाल दिया है।

प्रख्यात पर्यावरण वादी पद्म भूषण चंडी प्रसाद भट्ट कहते हैं कि किसी संवेदनशील क्षेत्र में कभी लोग लाल कपड़े नहीं पहनते थे और वहां शोर करना भी वर्जित था।

यात्रियों की अत्यधिक भीड़ से यात्रा मार्ग में गंदगी भी खूब हो रही है इस मार्ग पर जो माल जल शोधन संयंत्र लगे हैं उनकी क्षमता भीड़ के मुकाबले कम है, और गंदगी नदियों में मिल जाती है पिछले वर्ष बद्रीनाथ में लगे षड्यंत्र का माल जल सीधे अलकनंदा में प्रवाहित होते हुए पूरी दुनिया ने सोशल मीडिया पर देखा है।

लगभग 1300 किलोमीटर लंबे चार धाम यात्रा मार्ग पर स्थित कासो की अपनी सीमित ठोस पूरा कचरा निस्तारण व्यवस्था है सरकार या नगर निर्गमन के लिए अचानक की व्यवस्था का विस्तार आसान नहीं होता है।

सबसे अधिक चिंता का विषय वाहनों का हिमालय पर चढ़ना इस साल 10 दिन की यात्रा में 6.43 लाख यात्री और 60000 वहां चारों तीर तक पहुंच चुके थे नवंबर तक यात्रा चलनी इन वाहनों में भी सबसे ज्यादा चिंता पैदा करने वाले डीजल वाहन है।

जिसे ज्यादा प्रदूषण होता है पर्यावरण वीडियो के लिए एक और चिंता का विषय ब्लैक कार्बन है जो जलवायु परिवर्तन में योगदान के साथ ग्लेशियर को पिघला रहा है ऑटोमोबाइल द्वारा उत्सर्जित ब्लैक कार्बन और बर्फ की सतह पर जमा हो सकता है । ग्रह हरे रंग के कारण हॉकी सातों की तुलना में अधिक सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते हैं।

जिससे बर्फ और बराबरी का ताप बढ़ जाता है और ग्लेशियर पिघलने की गति तेज हो जाती है जंगलों की आग ने पहले ही वातावरण में ब्लैक कार्बन की वृद्धि कर दी है और अचानक डीजल वाहन से और विधि कर रहे हैं कर रहे हैं।

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