प्राचीन ज्ञान का सहारा लें, प्रदूषण से जंग जीतें पीपल, बरगद, नीम लगाएं!!!!

पीपल, बरगद और नीम: प्रदूषण मुक्त भारत के लिए प्रकृति का वरदान, हर 500 मीटर पर एक पीपल स्वस्थ भारत का रास्ता!

पिछले 68 वर्षों से सरकारी उपेक्षा के शिकार पेड़, पर्यावरण के लिए संजीवनी बन सकते हैं

नई दिल्ली, 18 जून 2024:

पिछले 68 सालों से, पीपल, बरगद और नीम जैसे पेड़ों को सरकारी स्तर पर लगाने की अनदेखी की जा रही है। यह पेड़ न केवल धरती को हरा-भरा बनाते हैं, बल्कि वायुमंडल को भी शुद्ध करते हैं।

विदेशी पेड़ों का खतरा:-

इसके बजाय, लोगों ने विदेशी यूकेलिप्टस के पेड़ लगाना शुरू कर दिया, जो कि जमीन को जलहीन बना देता है। आज, हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ों ने इन जीवनदायी पेड़ों की जगह ले ली है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाया जाए, तो कुछ ही सालों में भारत प्रदूषण मुक्त हो सकता है।

पीपल ऑक्सीजन का भंडार:-

पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है, जिसके कारण शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन प्रदान करते रहते हैं।

बरगद का पेड़ वायुमंडल से 80% तक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर लेता है।

नीम रोग प्रतिरोधक:-

नीम का पेड़ न केवल वायु को शुद्ध करता है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी अनेक रोगों से बचाते हैं।

हमारे पूर्वजों ने सदैव इन पेड़ों का महत्व समझा। “मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच। पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।।” – यह श्लोक पीपल के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।

आज समय है कि हम इन जीवनदायी पेड़ों को लगाने और उनकी रक्षा करने के लिए मिलकर प्रयास करें।

बाग-बगीचे बनाएं, पेड़ लगाएं, धरती को बचाएं! यह पुरातन ज्ञान अपनाकर हम प्रदूषण मुक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं।

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