जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों का वर्चस्व टूटा!!!!!

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए चुनावों ने लोकतंत्र की एक नई तस्वीर पेश की है। मतदान प्रतिशत और उम्मीदवारों की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जिसे सही मायने में लोकतंत्र की जीत कहा जा सकता है।

इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों को लगा है।

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, दोनों ही चुनाव में बड़े अंतर से हार गए। अब्दुल्ला परिवार के उमर अब्दुल्ला ने अपने घर श्रीनगर को छोड़ बारामूला से चुनाव लड़ने का फैसला किया, जो उनके लिए आत्मघाती साबित हुआ। वह टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद इंजीनियर रशीद शेख से हार गए। हालांकि, नेशनल कांफ्रेंस ने श्रीनगर और अनंतनाग की सीटें जीतीं, पर इसे अब्दुल्ला परिवार की जीत नहीं कहा जा सकता।

अनंतनाग चुनाव में गुर्जरों के पीर मियां अल्ताफ ने मैदान में उतरकर बड़ा दांव खेला, जिससे चुनाव एकतरफा हो गया। महबूबा मुफ्ती ने रोड शो कर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की, परंतु परिणामों से स्पष्ट हो गया कि रोड शो की भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो सकी।

जम्मू-कश्मीर की दोनों सीटों पर भाजपा ने हैट्रिक बनाकर साबित कर दिया कि जम्मू का क्षेत्र उसका सुरक्षित है। कांग्रेस के जोरदार प्रचार के बावजूद, भाजपा दोनों सीटें आसानी से निकालने में सफल रही। जम्मू सीट पर भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने लगातार तीसरी बार बड़े अंतर से जीत हासिल की। वहीं, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को उधमपुर सीट पर कांग्रेस से चुनौती मिलती दिख रही थी, परंतु उन्होंने भी आसानी से जीत दर्ज कर ली।

भाजपा इस बार भी मोदी के नाम, काम और विश्वास के सहारे मैदान में उतरी थी और अपनी ताकत साबित करने में सफल रही।

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