बेंगलुरु कर्नाटक के व्यापारी की पत्नी और बेटे ने लिया जैन भिक्षु दीक्षा

कर्नाटक के एक व्यापारी मनीष की 30 वर्षीय पत्नी स्वीटी और 11 वर्षीय बेटे ऋधान ने जैन भिक्षु बनकर एक नया अध्याय शुरू किया है। वे अब सूरत में रह रहे हैं।

स्वीटी और ऋधान ने जैन भिक्षु बनने के बाद नए नाम प्राप्त किए हैं। मां को अब भावशुद्धि रेखा श्री जी और बेटे को हितैशी रत्नविजय जी के नाम से जाना जाएगा। जैन समुदाय में साधु बनने का निर्णय अत्यंत सम्माननीय माना जाता है, और इसे लेकर समाज में विशेष उत्साह होता है। जैन भिक्षु बनने के बाद व्यक्ति को दुनिया की सबसे बुनियादी आवश्यकताओं का भी त्याग करना पड़ता है, जैसे कि एयर कंडीशनर, पंखे, बिस्तर, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उपकरणों का उपयोग।

स्वीटी ने अपने बेटे के साथ गर्भावस्था के दौरान ही जैन भिक्षु बनने का निर्णय लिया था। मनीष के रिश्तेदार विवेका ने मीडिया को बताया कि भावशुद्धि रेखा श्री जी ने अपने बेटे को इसी भावना के साथ बड़ा किया कि वह भी एक दिन जैन संन्यासी बनेगा।

जनवरी 2024 में गुजरात के सूरत में मां-बेटे की जोड़ी का दीक्षांत समारोह बहुत उत्साह के साथ मनाया गया।

 

इस अवसर को यूट्यूब पर लाइव प्रसारित किया गया और सोशल मीडिया पर इस वीडियो को एक मिलियन से अधिक बार देखा गया।

इससे पहले, गुजरात के एक धनी जैन दंपति भावेश भंडारी और उनकी पत्नी ने भी जैन भिक्षु बनने के लिए अपनी संपत्ति का लगभग ₹200 करोड़ दान दिया था। उन्होंने फरवरी में अपनी सारी चीजें दान करने के लिए एक प्रारंभिक समारोह आयोजित किया था।

स्वीटी और ऋधान के इस महत्वपूर्ण निर्णय ने जैन समुदाय में एक नई प्रेरणा जगाई है और उनके त्याग और समर्पण की कहानी को व्यापक सराहना मिल रही है।

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