पिछले 5 वर्षों में भारतीय खेतों में की महुआ जामुन शीशम सहित लगभग 53 लाख 6000 पेड़ गायब हो गए,

नेचर सस्टेनेबिलिटी जनरल्स में प्रकाशित एक अध्ययन में कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने भारत में छायादार पेड़ों की संख्या कम होती पर गहरा प्रकाश डाला है,

पिछले 5 वर्षों में भारतीय खेतों में की महुआ जामुन शीशम सहित लगभग 53 लाख 6000 पेड़ गायब हो गए दरअसल धान की पैदावार बढ़ाने के लिए किस इन पेड़ों को बढ़ा मान रहे हैं, इसलिए नहीं तेजी से साफ कर रहे हैं यह प्रवृत्ति चिंताजनक है.

क्योंकि देश की 56% भूमि कृषि के लिए है अगले 20% वन के रूप में वर्गीकृत है कृषि क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने और यहां तक की विस्तार करने की महत्वपूर्ण क्षमता है हालांकि छायादार पेड़ों को हटाकर इस क्षमता को व्यवस्थित रूप से काम किया जा रहा है जो न केवल गर्मी से राहत देने के लिए बल्कि जैव विविधता को बनाए रखना जलवायु की स्थिरता करने के लिए भी महत्वपूर्ण है.

वनों की कटाई के परिणाम पहले से ही स्पष्ट है सारी क्षेत्र अपनी प्राकृतिक छटा से वंचित होकर भी सर गर्मी में झुलस रहे हैं स्थिति की संतुलन बनाए रखना कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद छायादार पेड़ों को नष्ट करना मूर्खता ही है.

वह पक्षियों की को अन्य जीवों की कई प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं उनकी जे मिट्टी के कटाव को रोकने मिट्टी की उदारता बनाए रखना जल संरक्षण में सहायता करती हैं. इन पेड़ों को काटकर हम न केवल तात्कालिक कृषि पर्यावरण को बाधित कर रहे हैं बल्कि भूमि की दीर्घकालिक स्थिरता को भी खतरों में डाल रहे हैं शायद और बच्चों की अंधाधुंध, कटाई कृषि की पद्धतियों में अल्पकालिक सोच को भी दर्शाती है हालांकि फसल उत्पादन में वृद्धि से तात्कालिक लाभ फायदेमंद लग सकता है.

लेकिन दीर्घकालिक पर्यावरण आई लागत गंभीर मृदा चरण जैव विविधता की हानि जलवायु परिवर्तन की बढ़ती समस्या ऐसे गंभीर परिणाम है जिनका सामना आने वाली कई पीढियां को करना पड़ेगा इस संकट से निपटने के लिए पेड़ों की उनकी कृषि प्रणालियां के एकीकृत करने वाले कृषि वन की प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए सरकारी नीतियों को छायादार पेड़ों के संरक्षण रोपण को प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने की इच्छुक किसानों को वित्तीय और तकनीकी सहायता मिल सके शहर रहने योग बना रहे, सुनिश्चित करने के लिए शायरी नियोजन को हरित स्थान को प्राथमिकता देनी चाहिए भारतीय खेतों के 53लाख 6000 पेड़ को लुप्त होना एक गंभीर मुद्दा है.

जिस पर तात्कालिक ध्यान देने की आवश्यकता है सरकारों को इस पर देश की प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए नियमित सुबह अवस्थित और सुसज्जित कदम उठाने चाहिए जिससे यह हमारे आने वाले जनरेशन को प्राकृतिक संसाधनों का सुख भोगने का अवसर मिल सके,

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